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मच रही है हलचल आस्तीनों में, कुछ साँप भी दिवाली मना रहे हैं !! पहले के दौर में रायबहादुरी की, आज भ्रष्ट~अचार बेचे जा रहे हैं !! एक बार जमके लूट मचाई थी, फिर लूटने की जुगत भिड़ा रहे हैं !! कंजरी मुजरा करना भूल गईं हैं, कोठेपे भंड़वे कव्वाली सुना रहे हैं !! #⚓ SELFISH-AGENDA ⚓ #👁️ ठनठनिया-जंक्शन 👁️ #⚓अनमोल-बातें⚓ #⚓सच्चाई⚓ #⚓यही सच है⚓
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