ShareChat
click to see wallet page
।। ॐ ।। अर्जुन उवाच ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन। तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशव॥ जनों पर दया करनेवाले जनार्दन ! यदि निष्काम कर्मयोग की अपेक्षा ज्ञानयोग आपको श्रेष्ठ मान्य है, तो हे केशव ! आप मुझे भयंकर कर्मयोग में क्यों लगाते हैं? निष्काम कर्मयोग में अर्जुन को भयंकरता दिखायी पड़ी; क्योंकि इसमें कर्म करने में ही अधिकार है, फल में कभी नहीं। कर्म करने में अश्रद्धा भी न हो और निरन्तर समर्पण के साथ योग पर दृष्टि रखते हुए कर्म में लगा रह। जबकि ज्ञानमार्ग में हारोगे तो देवत्व है, जीतने पर महामहिम स्थिति है। अपनी लाभ-हानि स्वयं देखते हुए आगे बढ़ना है। इस प्रकार अर्जुन को निष्काम कर्मयोग की अपेक्षा ज्ञानमार्ग सरल प्रतीत हुआ। इसलिये उसने निवेदन किया- #यथार्थ गीता #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #🙏गीता ज्ञान🛕 #🧘सदगुरु जी🙏 #महादेव
यथार्थ गीता - 3| I || अर्जुन   उवाच ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन। तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशवIl पर दया करनेवाले जनार्दन यदि निष्काम जनों 1 कर्मयोग की अपेक्षा ज्ञानयोग आपको  श्रेष्ठ मान्य आप मुझे भयंकर कर्मयोग में है,॰ तो हे केशव क्यों लगाते हैं? निष्काम कर्मयोग में अर्जुन को कर्म   करने भयंकरता दिखायी पड़ी; क्योंकि इसमें में ही अधिकार है, में कभी नहीं| कर्म करने কল में अश्रद्धा भी न हो और निरन्तर समर्पण के दृष्टि रखते हुए कर्म में लगा रह। योग வ पर जबकि ज्ञानमार्ग में हारोगे तो देवत्व है, जीतने पर महामहिम स्थिति है। अपनी लाभनहानि स्वयं देखते हुए आगे बढ़ना है। इस प्रकार अर्जुन को निष्काम कर्मयोग की अपेक्षा ज्ञानमार्ग सरल प्रतीत हुआ। इसलिये उसने निवेदन किया- 3| I || अर्जुन   उवाच ज्यायसी चेत्कर्मणस्ते मता बुद्धिर्जनार्दन। तत्किं कर्मणि घोरे मां नियोजयसि केशवIl पर दया करनेवाले जनार्दन यदि निष्काम जनों 1 कर्मयोग की अपेक्षा ज्ञानयोग आपको  श्रेष्ठ मान्य आप मुझे भयंकर कर्मयोग में है,॰ तो हे केशव क्यों लगाते हैं? निष्काम कर्मयोग में अर्जुन को कर्म   करने भयंकरता दिखायी पड़ी; क्योंकि इसमें में ही अधिकार है, में कभी नहीं| कर्म करने কল में अश्रद्धा भी न हो और निरन्तर समर्पण के दृष्टि रखते हुए कर्म में लगा रह। योग வ पर जबकि ज्ञानमार्ग में हारोगे तो देवत्व है, जीतने पर महामहिम स्थिति है। अपनी लाभनहानि स्वयं देखते हुए आगे बढ़ना है। इस प्रकार अर्जुन को निष्काम कर्मयोग की अपेक्षा ज्ञानमार्ग सरल प्रतीत हुआ। इसलिये उसने निवेदन किया- - ShareChat

More like this