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गुलजार शायरी - कहाँ फ़ुर्सत मुझे की मौसम सुहाना देखूँ तेरी यादों से निकलूँ तब तो ज़माना देखँ! Shubhu creation ShareChat] Shayar e Barbaad कहाँ फ़ुर्सत मुझे की मौसम सुहाना देखूँ तेरी यादों से निकलूँ तब तो ज़माना देखँ! Shubhu creation ShareChat] Shayar e Barbaad - ShareChat

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