Garuda aur Amrit Kalash ka Rahasya
जब समुद्र मंथन से अमृत कलश निकला,
असुर उसे छीनने लगे और देवता भयभीत हो गए।
तभी भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ ने निडर होकर उड़ान भरी,
और अमृत कलश को सुरक्षित ले गए।
जब विष्णु ने पूछा — “गरुड़, इतना साहस कैसे?”
गरुड़ बोले — “प्रभु, जब कार्य आपके लिए हो,
तो भय अपने आप समाप्त हो जाता है।”
यही सच्ची भक्ति का सार है —
जहाँ प्रेम हो, वहाँ भय नहीं रहता।
जय श्री विष्णु 🙏
जय गरुड़ देव!
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