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#worlofpoetry9990
worlofpoetry9990 - इक कमी है ज़माने में ठीक होना नहीं चाहती सही दिखना तो चाहती है सही होना नहीं चाहती| तुम चाहे तो निभाते रहो रस्मे उल्फत लेकिन ये मोहब्बत किसी शख्स का होना नहीं चाहती। अपने अश्क उस पर ज़ाया नहीं करना तुम भी वो भी अपना दामन भिगोना नहीं चाहती| से होश संभाला है इस बेताब दिल ने जब आंखें किसी ख़याल को संजोना नहीं चाहती| भूल जाएगा पल भर में मिलते ही नए खिलौने खज़ाना नहीं के दुनिया जिसे खोना नहीं चाहती। 4 तू भी अब समंदर से उलझना छोड़ दे वो भी अब वफ़ा के मोती पिरोना नहीं चाहती| Worldofpoetry999o इक कमी है ज़माने में ठीक होना नहीं चाहती सही दिखना तो चाहती है सही होना नहीं चाहती| तुम चाहे तो निभाते रहो रस्मे उल्फत लेकिन ये मोहब्बत किसी शख्स का होना नहीं चाहती। अपने अश्क उस पर ज़ाया नहीं करना तुम भी वो भी अपना दामन भिगोना नहीं चाहती| से होश संभाला है इस बेताब दिल ने जब आंखें किसी ख़याल को संजोना नहीं चाहती| भूल जाएगा पल भर में मिलते ही नए खिलौने खज़ाना नहीं के दुनिया जिसे खोना नहीं चाहती। 4 तू भी अब समंदर से उलझना छोड़ दे वो भी अब वफ़ा के मोती पिरोना नहीं चाहती| Worldofpoetry999o - ShareChat

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