##Addiction_LeadsTo_Ruin
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कबीर, औगुण कहूं शराब का, ज्ञानवंत सुन लेय।
मानुष सौं पशुवा करै, द्रव्य गांठ का देय।।
संत रामपाल जी वेदों, गीता और कबीर सागर जैसे ग्रंथों के आधार पर नशे के दुष्परिणामों को समझाते हैं और संत रामपाल जी महाराज के शिष्य नशे को हाथ तक नहीं लगाते, जो उनकी शिक्षाओं का प्रभाव है। क्योंकि संत रामपाल जी बताते हैं:
गरीब, भांग तम्बाखू पीव हीं, सुरा पान से हेत।
गोश्त मट्टी खाय कर, जंगली बनें प्रेत।।

