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तुम क्या जानो *धर्म* में कितनी *धार* हैं *करोड़ों* कट चुके हैं, *लाखों* तैयार हैं। धर्म एक *कारोबार* है मौलवी, पंडित, पादरी सब *दुकानदार* हैं। #कड़वी मगर सच्ची बाते

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