ShareChat
click to see wallet page
#✍मेरे पसंदीदा लेखक
✍मेरे पसंदीदा लेखक - Gulaam_E_Naqshband अफ़सोस की बात हैंँ, काश जिस तरह बच्चों को स्कूल भेजने की मां-बाप को टेंशन होती हैं, उसी तरह उनकी फ़िक़्र होती तो क्या बात होती ! आख़िरत की भी बड़ी अजीब बात हैं , आज कल 5 साल के बच्चे को सुबह - सुबह स्कूल के लिए उठाने में मां -बाप को बिल्कुल 7 बुरा नहीं लगता , लेकिन १५ साल के बच्चे को नमाज़-ए फ़ज्र के लिए उठाना उन्हें ज़ुल्म लगता हैं ! कीजिए, और उन्हें दीनी माहौल में ढालें ! बच्चों की दुनिया से ज़्यादा आख़िरत की फ़िक्र  Gulaam_E_Naqshband अफ़सोस की बात हैंँ, काश जिस तरह बच्चों को स्कूल भेजने की मां-बाप को टेंशन होती हैं, उसी तरह उनकी फ़िक़्र होती तो क्या बात होती ! आख़िरत की भी बड़ी अजीब बात हैं , आज कल 5 साल के बच्चे को सुबह - सुबह स्कूल के लिए उठाने में मां -बाप को बिल्कुल 7 बुरा नहीं लगता , लेकिन १५ साल के बच्चे को नमाज़-ए फ़ज्र के लिए उठाना उन्हें ज़ुल्म लगता हैं ! कीजिए, और उन्हें दीनी माहौल में ढालें ! बच्चों की दुनिया से ज़्यादा आख़िरत की फ़िक्र - ShareChat

More like this