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#desi bramhan #kshatriya #vaishya #shoodra #jaatiya
desi bramhan - १. चार जातियाँ (वर्ण) हैं, ब्राह्मण, क्षत्रिय, और शूद्र। f१] ೩೩' वैश्य,  द्विज कहलाती हैं। २. तीन जातियाँ, ब्राह्मण, क्षत्रिय और ३. उनका पहला जन्म उनकी माता से होता हैः दूसरा जन्म पवित्र करधनी से होता है। उस তন্স) ম সানিন্সী মানা ই, লক্ধিন (दूसरे  [2] पिता कहा जाता है। गुरु को ४. वे शिक्षक को पिता कहते हैं, क्योंकि वह वेद की शिक्षा देता है। [3] ५. वे इसी प्रकार (वेद से निम्नलिखित अंश) उद्धृत करते हैंः 'वेदों के ज्ञाता पुरुष की वीर्य शक्ति दो प्रकार की होती है, एक वह जो वह जो नाभि के नीचे से नीचे नाभि के ऊपर रहती है और दूसरी  उतरती है। नाभि के ऊपर रहने वाली शक्ति से ही उसकी संतान को दीक्षा देता है, जब वह उन्हें उत्पन्न होती है, जब वह ब्राह्मणों शिक्षा देता है, जब वह उनसे हवन करवाता है, जब वह उन्हें पवित्र बनाता है। नाभि के नीचे रहने वाली शक्ति से ही उसके शरीर की संतान उत्पन्न होती है। इसलिए वे वेद पढ़ाने वाले श्रोत्रिय से कभी नहीं कहते कि 'तुम संतानहीन हो।' I४J ६. हारीत ने (निम्नलिखित श्लोक) भी उद्धृत किया हैः 'किसी (बच्चे ) द्वारा कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पवित्र करधनी से आबद्ध होने से पहले नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वह वेद से अपने [5] (नए) जन्म से पहले शूद्र के स्तर पर होता है।' १. चार जातियाँ (वर्ण) हैं, ब्राह्मण, क्षत्रिय, और शूद्र। f१] ೩೩' वैश्य,  द्विज कहलाती हैं। २. तीन जातियाँ, ब्राह्मण, क्षत्रिय और ३. उनका पहला जन्म उनकी माता से होता हैः दूसरा जन्म पवित्र करधनी से होता है। उस তন্স) ম সানিন্সী মানা ই, লক্ধিন (दूसरे  [2] पिता कहा जाता है। गुरु को ४. वे शिक्षक को पिता कहते हैं, क्योंकि वह वेद की शिक्षा देता है। [3] ५. वे इसी प्रकार (वेद से निम्नलिखित अंश) उद्धृत करते हैंः 'वेदों के ज्ञाता पुरुष की वीर्य शक्ति दो प्रकार की होती है, एक वह जो वह जो नाभि के नीचे से नीचे नाभि के ऊपर रहती है और दूसरी  उतरती है। नाभि के ऊपर रहने वाली शक्ति से ही उसकी संतान को दीक्षा देता है, जब वह उन्हें उत्पन्न होती है, जब वह ब्राह्मणों शिक्षा देता है, जब वह उनसे हवन करवाता है, जब वह उन्हें पवित्र बनाता है। नाभि के नीचे रहने वाली शक्ति से ही उसके शरीर की संतान उत्पन्न होती है। इसलिए वे वेद पढ़ाने वाले श्रोत्रिय से कभी नहीं कहते कि 'तुम संतानहीन हो।' I४J ६. हारीत ने (निम्नलिखित श्लोक) भी उद्धृत किया हैः 'किसी (बच्चे ) द्वारा कोई भी धार्मिक अनुष्ठान पवित्र करधनी से आबद्ध होने से पहले नहीं किया जा सकता है, क्योंकि वह वेद से अपने [5] (नए) जन्म से पहले शूद्र के स्तर पर होता है।' - ShareChat

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