( व्यथित मन )
जिन्दगी बोझ सी लगती है
जीना कठीन हो गया है
इच्छाये मर चुकी हैं सब
चाह कुछ भी नहीं है अब
व्यथित मन को सम्हाले फिरता हूँ
कहू तो किस्से कहू किस्सा
यहाँ है कौन अपना
अजनबी लोग रहते है
जो जिन्दो पर हस्ते हैं
मुर्दो पर रोते है ...
किसे कहू मै दुःख दर्द अपना #कविता