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#md_arif_001 #Karbala #shahe karbala #albida albida shahe karbala #ya karbala @Md Arif 001
md_arif_001 - কনলা কা ঠলা ন নালা মসং उस रेगिरसान की पुकार, जहा पाानी तो था मगर प्यास सुननो बुझने को एक कतरा भी नसीब, वो मासूग अली असगर (अस.),जो अपनी प्यास की तइप मे तीर का शिकार हो गया, व हुसोन (अ.), जिलन्सें अपने वर के हर फुल्ल को अविदा वख्ा, महन जनेब (स,) की चीखनें आसमान को हिला रही थी, आर भाई हुसान (अःस.) का का रेत को सुख करहा ` বা लहू करबला  हर शहीद की लाश पर इगाप्त की नजर थी॰ मगर आंखों में आसुसूां की जगख सब का साया था. तीरों की वारिश के वीच आर्खररी सजाा किय , आर जेमन असाान तक चीख उता कदला की रेत लहूा से गबह ही (3[ন) কী চুমান कुवानाा कय गया हुशान (अस.) का. कुबला कोई जग नही थी, थह जुल्न ओर इंसाफ की जंगर थी। हुशान * (अ.स. ) ने प्यासे रहकर भी रोिर ह्ुकाया, मगर जुल्म के सामने झुके नही. কনলা কা ঠলা ন নালা মসং उस रेगिरसान की पुकार, जहा पाानी तो था मगर प्यास सुननो बुझने को एक कतरा भी नसीब, वो मासूग अली असगर (अस.),जो अपनी प्यास की तइप मे तीर का शिकार हो गया, व हुसोन (अ.), जिलन्सें अपने वर के हर फुल्ल को अविदा वख्ा, महन जनेब (स,) की चीखनें आसमान को हिला रही थी, आर भाई हुसान (अःस.) का का रेत को सुख करहा ` বা लहू करबला  हर शहीद की लाश पर इगाप्त की नजर थी॰ मगर आंखों में आसुसूां की जगख सब का साया था. तीरों की वारिश के वीच आर्खररी सजाा किय , आर जेमन असाान तक चीख उता कदला की रेत लहूा से गबह ही (3[ন) কী চুমান कुवानाा कय गया हुशान (अस.) का. कुबला कोई जग नही थी, थह जुल्न ओर इंसाफ की जंगर थी। हुशान * (अ.स. ) ने प्यासे रहकर भी रोिर ह्ुकाया, मगर जुल्म के सामने झुके नही. - ShareChat

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