ShareChat
click to see wallet page
#जैसे कर्म वैसा फल
जैसे कर्म वैसा फल - 8.02 "4Gl V मिठाई की दुकान कर्म का फल एक बार की कथा है, देवऋषि नारद और ऋषि अंगिरा कहीं जा रहे थे। रास्ते में उनकी नजर एक मिठाई की दुकान पर पड़ी। दुकान के नजदीक ही झूठी पतलों का ढेर लगा हुआ उस झूठन को खाने के लिए जैसे ही एक कुत्ता आता है, था। बैसे ही उस दुकान का मालिक उसको जोर से डन्डा मारता है। डन्डे की मार खा कर कुत्ता चीखता हुआ वहाँ से चला जाता है। ये दृश्य देख कर, देवऋषि को हंसी आ गयी। ऋषि अन्गरा ने उन से हंसी का कारण पूछा, नारद बोलेः हे ऋषिवर ! यह दुकान पहले एक कन्जूस व्यक्ति की थी।  अपनी जिंदगी में उसने बहुत सारा पैसा इकट्ठा किया। और इस जन्म में वो कुत्ता बन कर पैदा हुआ और यह दुकान मालिक उसी का पुत्र है, देखें ! जिस के लिए उस ने बेशुमार धन इकट्ठा किया। आज उसी के हाथों से, उसे जूठा भोजन भी नहीं मिल सका। कर्मफल के इस खेल को देखकर मुझे हंसी आ गई। मनुष्य को अपने शुभ और अशुभ करमों का फल जरूर मिलता है। बेशक इस लिए उसे जन्मों जन्मों की क्यों न करनी पड़े। @Sk Verma यात्रा 8.02 "4Gl V मिठाई की दुकान कर्म का फल एक बार की कथा है, देवऋषि नारद और ऋषि अंगिरा कहीं जा रहे थे। रास्ते में उनकी नजर एक मिठाई की दुकान पर पड़ी। दुकान के नजदीक ही झूठी पतलों का ढेर लगा हुआ उस झूठन को खाने के लिए जैसे ही एक कुत्ता आता है, था। बैसे ही उस दुकान का मालिक उसको जोर से डन्डा मारता है। डन्डे की मार खा कर कुत्ता चीखता हुआ वहाँ से चला जाता है। ये दृश्य देख कर, देवऋषि को हंसी आ गयी। ऋषि अन्गरा ने उन से हंसी का कारण पूछा, नारद बोलेः हे ऋषिवर ! यह दुकान पहले एक कन्जूस व्यक्ति की थी।  अपनी जिंदगी में उसने बहुत सारा पैसा इकट्ठा किया। और इस जन्म में वो कुत्ता बन कर पैदा हुआ और यह दुकान मालिक उसी का पुत्र है, देखें ! जिस के लिए उस ने बेशुमार धन इकट्ठा किया। आज उसी के हाथों से, उसे जूठा भोजन भी नहीं मिल सका। कर्मफल के इस खेल को देखकर मुझे हंसी आ गई। मनुष्य को अपने शुभ और अशुभ करमों का फल जरूर मिलता है। बेशक इस लिए उसे जन्मों जन्मों की क्यों न करनी पड़े। @Sk Verma यात्रा - ShareChat

More like this