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#बे-दर्द जमाना
बे-दर्द जमाना - पिता की देहलीज जिस पिता ने उंगली पकङ के चलना सिखाया. आज मैं उस पिता की देहलीज को कोछ कर  दामन मे लिपट चुकी हूँ तुम्हारे कभी धोखा मत देना क्यों कि मै जिसघरको छोड़कर मुझे आई हूँ अब उस घर की ओर पलटकर देख भी नहीं सकती. बीस साल के प्यार को दो लब्जों मे भूल गई पिता की देहलीज जिस पिता ने उंगली पकङ के चलना सिखाया. आज मैं उस पिता की देहलीज को कोछ कर  दामन मे लिपट चुकी हूँ तुम्हारे कभी धोखा मत देना क्यों कि मै जिसघरको छोड़कर मुझे आई हूँ अब उस घर की ओर पलटकर देख भी नहीं सकती. बीस साल के प्यार को दो लब्जों मे भूल गई - ShareChat

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