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#कथावाचक
कथावाचक - शिव को एक लोटा जल और कथा वाचक को ३१ लाख? हैं दूसरी ओर सात दिन की कथा के भास्कर दूत 4 लिए ३१ लाख रूपए की मांग करना राजनांदगांव। शहर एक तरह से यह लोगों की आस्था সমানিন   হািল महापुराण कथा कार्यक्रम को हाल ही में कथावाचक का अपमान है। आम भक्त जिनके लिए एक लोटा जल ही प्रदीप मिश्रा द्वारा कथा रद्द कर दी गई। इसे लेकर शिव को चढ़ा पाना बड़ी उनके लिए चर्चा सरगर्म है कि उन्हें 8 লান ऐसी तय की गई ३१ लाख की कथावाचक की হান सेवा राशि समय पर नहीं 4 रक्ीं क्रूर मजाक इसलिए   उन्होंने मिली, గ్డ్ धर्म का इवेंट ক্নে ম ब्रांडिंग, कथा अब वाचन मैनेजमेंट और व्हीआईपी दर्शकों के इंकार कर दिया है। ज्ञात हो कि यह वही प्रदीप मिश्रा हैं॰ जो मंच से लिए होता जा रहा है। सुरक्षित कहते हैं कि मुझे कुछ नहीं चाहिए ऐसे समय में प्रेमानंद महाराज मैं तो बाबा का सेवक हूँ। पर सवाल जैसे सच्चे संतों का उदाहरण जरूरी यह है कि जब कथावाचक मंच पर शैँल्क हो जाता है॰ जो बिना कोई लिए कथा करते हैं और कहते आने से पहले लाखों रुपये की डील 8 तय करे और भुगतान न मिलने पर धर्म कभी शर्तों पर नहीं चलता। कथा से इंकार कर दे॰ तो इसे भक्ति अब फैसला भक्तों को करना है कि चाहिए ग़रा्क ಫ ತ-೯ ಖa माना जाए अथवा कारोबार? या शिव जी ओर देश में करोड़ों लोग के नाम पर रेट तय करने वाले बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रहे कथावाचक? शिव को एक लोटा जल और कथा वाचक को ३१ लाख? हैं दूसरी ओर सात दिन की कथा के भास्कर दूत 4 लिए ३१ लाख रूपए की मांग करना राजनांदगांव। शहर एक तरह से यह लोगों की आस्था সমানিন   হািল महापुराण कथा कार्यक्रम को हाल ही में कथावाचक का अपमान है। आम भक्त जिनके लिए एक लोटा जल ही प्रदीप मिश्रा द्वारा कथा रद्द कर दी गई। इसे लेकर शिव को चढ़ा पाना बड़ी उनके लिए चर्चा सरगर्म है कि उन्हें 8 লান ऐसी तय की गई ३१ लाख की कथावाचक की হান सेवा राशि समय पर नहीं 4 रक्ीं क्रूर मजाक इसलिए   उन्होंने मिली, గ్డ్ धर्म का इवेंट ক্নে ম ब्रांडिंग, कथा अब वाचन मैनेजमेंट और व्हीआईपी दर्शकों के इंकार कर दिया है। ज्ञात हो कि यह वही प्रदीप मिश्रा हैं॰ जो मंच से लिए होता जा रहा है। सुरक्षित कहते हैं कि मुझे कुछ नहीं चाहिए ऐसे समय में प्रेमानंद महाराज मैं तो बाबा का सेवक हूँ। पर सवाल जैसे सच्चे संतों का उदाहरण जरूरी यह है कि जब कथावाचक मंच पर शैँल्क हो जाता है॰ जो बिना कोई लिए कथा करते हैं और कहते आने से पहले लाखों रुपये की डील 8 तय करे और भुगतान न मिलने पर धर्म कभी शर्तों पर नहीं चलता। कथा से इंकार कर दे॰ तो इसे भक्ति अब फैसला भक्तों को करना है कि चाहिए ग़रा्क ಫ ತ-೯ ಖa माना जाए अथवा कारोबार? या शिव जी ओर देश में करोड़ों लोग के नाम पर रेट तय करने वाले बेरोजगारी और महंगाई से जूझ रहे कथावाचक? - ShareChat

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