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#Meghalaya's Shaktipeeth #shaktipeeth #davi ke 52 shaktipeeth #51 शक्तिपीठ माँ हरसिद्धि उज्जेन् से माँ 💐👏# #🙏आई तुळजाभवानी
Meghalaya's Shaktipeeth - "নন) शिव पुराण की पौराणिक कथा कैसे पहुंचे ? चंद्रमा शिवके शीश पर ? चंद्रमा का विवाह दक्ष प्रजापति की २७ कन्याओं से हुआ था, जो वास्तव में २७ नक्षत्रों के रूप में जानी जाती हैं। लेकिन चंद्रमा को विशेष प्रेम था रोहिणी से, और वे अपना अधिकांश समय उसी के साथ बिताते थे। दक्ष क्रोधित हो गए और चंद्रमा को दिया एक भीषण श्राप "क्षय रोग" , यानी दिन-्ब-दिन क्षीण होते जाना। श्राप से त्रस्त चंद्रमा ने भगवान शिब की कठोर तपस्या की। शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने न केवल चंद्रमा को मृत्यु से बचाया , बल्कि उन्हें अपने जटाओं में स्थान देकर अमरता का वरदान दिया। यहीं सेशिव को मिला एक और नाम "चन्द्रशेखर" जिनके शीश पर विराजमान है चंद्र। जहां चंद्रमा ने यह तपस्या की थी, पीठाधीश्वर , जगद्नुऊ कृष्णगिरे 1 के रूप में पूजित है। श्री वसंत विजयानंद गिरो जो मँहाराज बह स्थान आज सोमनाथः ThoughtYogo _ Vasanth Vijay Maharaj] "নন) शिव पुराण की पौराणिक कथा कैसे पहुंचे ? चंद्रमा शिवके शीश पर ? चंद्रमा का विवाह दक्ष प्रजापति की २७ कन्याओं से हुआ था, जो वास्तव में २७ नक्षत्रों के रूप में जानी जाती हैं। लेकिन चंद्रमा को विशेष प्रेम था रोहिणी से, और वे अपना अधिकांश समय उसी के साथ बिताते थे। दक्ष क्रोधित हो गए और चंद्रमा को दिया एक भीषण श्राप "क्षय रोग" , यानी दिन-्ब-दिन क्षीण होते जाना। श्राप से त्रस्त चंद्रमा ने भगवान शिब की कठोर तपस्या की। शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने न केवल चंद्रमा को मृत्यु से बचाया , बल्कि उन्हें अपने जटाओं में स्थान देकर अमरता का वरदान दिया। यहीं सेशिव को मिला एक और नाम "चन्द्रशेखर" जिनके शीश पर विराजमान है चंद्र। जहां चंद्रमा ने यह तपस्या की थी, पीठाधीश्वर , जगद्नुऊ कृष्णगिरे 1 के रूप में पूजित है। श्री वसंत विजयानंद गिरो जो मँहाराज बह स्थान आज सोमनाथः ThoughtYogo _ Vasanth Vijay Maharaj] - ShareChat

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