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#श्रीनाथजी नाथद्वारा #🙏श्रीनाथजी 🌺 #श्रीनाथजी #🙏 जय श्रीनाथजी #🌷'श्रीनाथजी' महाप्रभु🌹🙏
श्रीनाथजी नाथद्वारा - श्रीगोवर्धनधरः श्रीनवनीतप्रियौ विजयेते ।। I श्रीनाथजी के घर की सेवा प्रणालिका श्रावन शुक्ल पक्ष एकादशी < पवित्रा एकादशी . 5 August 2025 सभी द्वार में हल्दी से डेली मंढे, बंदरवाल बंधे। सभी समय जमना जल की झारीजी आवे। चारो समय थाली की आरती उतरे। गेंद चौगान, दिवला सोना आंवला, चन्दन से प्रभु के अभ्यंग होवे। मुढ्ढा, के। मंगला के दर्शन पीछे ক্রুলল; पेटी, दिवालगिरी आदि पे कशीदा को साज चढ़े। सुनहरी  पिछेड़ा स्वेत, केसर की कोर को। श्रीमस्तक पे स्वेत কুল্ক; वस्त्र : किनारी की। ठाड़े वस्त्र लाल। पिछवाई स्वेत डोरिया की, किनारी के सुनहरी  धोरा की। के, हीरा की प्रधानता। बनमाला से दो आगुल उचो आभरण सब उत्सव श्रृंगार। नीचे पांच पदक, ऊपरहीरा, पन्ना, मानक मोती के हार, माला, दुलड़ा धरावे। कली की माला आवे। श्रीमस्तक पे तीन मोर चन्द्रिका को जोड़ आवे। वेणु वेत्र तीनो हीरा के। पट उत्सव को, गोटी सोना के जाली की। आरसी चार झाड़़ की॰ राजभोग में सोना के डाँड़ी की। उत्थापन में पवित्रा को अधिवासन होवे। प्रभु को पवित्रा धरावे। विशेष झालर, घंटा, शंख बजे। अधकि भोग में छुट्टी बूंदी सकरपारा, दुधघर को साज, कच्चर, चालनी, फलफूल सभी घरों की मिसरी आदि अरोगे। धूपे दिप शंखोदक होवे। विशेष भोग में फीका में चालनी, सकड़ी में केसरी पेठा, मीठी सेव आदी अरोगे गोपी वल्लभ मे मेवा बाटी व मनमनोहर अरोगे।  सायं चाँदी के हिंडोलाना में झूले।  अन्य सब नित्य क्रम| श्रीमान तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा से प्रकाशित श्रीगोवर्धनधरः श्रीनवनीतप्रियौ विजयेते ।। I श्रीनाथजी के घर की सेवा प्रणालिका श्रावन शुक्ल पक्ष एकादशी < पवित्रा एकादशी . 5 August 2025 सभी द्वार में हल्दी से डेली मंढे, बंदरवाल बंधे। सभी समय जमना जल की झारीजी आवे। चारो समय थाली की आरती उतरे। गेंद चौगान, दिवला सोना आंवला, चन्दन से प्रभु के अभ्यंग होवे। मुढ्ढा, के। मंगला के दर्शन पीछे ক্রুলল; पेटी, दिवालगिरी आदि पे कशीदा को साज चढ़े। सुनहरी  पिछेड़ा स्वेत, केसर की कोर को। श्रीमस्तक पे स्वेत কুল্ক; वस्त्र : किनारी की। ठाड़े वस्त्र लाल। पिछवाई स्वेत डोरिया की, किनारी के सुनहरी  धोरा की। के, हीरा की प्रधानता। बनमाला से दो आगुल उचो आभरण सब उत्सव श्रृंगार। नीचे पांच पदक, ऊपरहीरा, पन्ना, मानक मोती के हार, माला, दुलड़ा धरावे। कली की माला आवे। श्रीमस्तक पे तीन मोर चन्द्रिका को जोड़ आवे। वेणु वेत्र तीनो हीरा के। पट उत्सव को, गोटी सोना के जाली की। आरसी चार झाड़़ की॰ राजभोग में सोना के डाँड़ी की। उत्थापन में पवित्रा को अधिवासन होवे। प्रभु को पवित्रा धरावे। विशेष झालर, घंटा, शंख बजे। अधकि भोग में छुट्टी बूंदी सकरपारा, दुधघर को साज, कच्चर, चालनी, फलफूल सभी घरों की मिसरी आदि अरोगे। धूपे दिप शंखोदक होवे। विशेष भोग में फीका में चालनी, सकड़ी में केसरी पेठा, मीठी सेव आदी अरोगे गोपी वल्लभ मे मेवा बाटी व मनमनोहर अरोगे।  सायं चाँदी के हिंडोलाना में झूले।  अन्य सब नित्य क्रम| श्रीमान तिलकायत महाराजश्री की आज्ञा से प्रकाशित - ShareChat

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