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#👌 दोहे #दोहे ही दोहे किसी के भी हो
👌 दोहे - झूठ हे, जंतर मंतर सब मति भरमो जग कोये। सार शब्द जाने बिना , कागा हंस ना होये। | झूठ हे, जंतर मंतर सब मति भरमो जग कोये। सार शब्द जाने बिना , कागा हंस ना होये। | - ShareChat

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