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#📝 अधूरे अल्फाज़ #🎤 महफिल ए शायरी #✍️ अनसुनी शायरी #✍️ साहित्य एवं शायरी #🖊🖊ek rachna roj ka ✍🏻
📝 अधूरे अल्फाज़ - एक मैं हूंजो खुद को ना समझ सका आजतक और एक लोग है जो मुझे जाने क्या क्या समझ लेते हैं ७५०  एक मैं हूंजो खुद को ना समझ सका आजतक और एक लोग है जो मुझे जाने क्या क्या समझ लेते हैं ७५० - ShareChat