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#📖 कविता और कोट्स✒️ #✍️ साहित्य एवं शायरी #📚कविता-कहानी संग्रह #📓 हिंदी साहित्य #🥰Express Emotion
📖 कविता और कोट्स✒️ - नाजी भरके देखा, ना कुछ बात की बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की से कुछ ख़बर ही नहीं कई साल कहाँ दिन गुज़ारा, कहाँ रात की उजालों की परियाँ नहाने लगीं ख़यालात की नदी गुनगुनाई, मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई जुबाँ सब समझते हैं जूज़्बात की सितारों को शायद खबर ही नहीं ने जाने कहाँ रात की मुसाफ़िर चश्मे- पुरआब'  का मुकद्दर मेरे की बरसात নমেনী ভ্ৎ যন 1959 आँसू भरी आँखें नाजी भरके देखा, ना कुछ बात की बड़ी आरज़ू थी मुलाक़ात की से कुछ ख़बर ही नहीं कई साल कहाँ दिन गुज़ारा, कहाँ रात की उजालों की परियाँ नहाने लगीं ख़यालात की नदी गुनगुनाई, मैं चुप था तो चलती हवा रुक गई जुबाँ सब समझते हैं जूज़्बात की सितारों को शायद खबर ही नहीं ने जाने कहाँ रात की मुसाफ़िर चश्मे- पुरआब'  का मुकद्दर मेरे की बरसात নমেনী ভ্ৎ যন 1959 आँसू भरी आँखें - ShareChat