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#कबीर_परमात्मा_की_वाणी #🗣कबीर अमृतवाणी📢 #🙏गुरु महिमा😇 #🙏🏻आध्यात्मिकता😇 #🙏 प्रेरणादायक विचार
कबीर_परमात्मा_की_वाणी - कवीरवाणी 3 कबीर, क्षमा समान न तप सुख नर्हीं संतोष समान। तृष्णा समान नर्ही ब्याधी कोई, धर्म न दया समान। | भावार्थः कबीर साहेब जी ने कहा है किक्षमा करना बहुत बड़ा तप है। इसके समान तप नहीं है। संतोष के तुल्य कोई सुख नहीं है। किसी प्राप्ति எனி की इच्छा के समान कोई आपदा नहीं है और दया के समान धर्म नहीं है। कवीरवाणी 3 कबीर, क्षमा समान न तप सुख नर्हीं संतोष समान। तृष्णा समान नर्ही ब्याधी कोई, धर्म न दया समान। | भावार्थः कबीर साहेब जी ने कहा है किक्षमा करना बहुत बड़ा तप है। इसके समान तप नहीं है। संतोष के तुल्य कोई सुख नहीं है। किसी प्राप्ति எனி की इच्छा के समान कोई आपदा नहीं है और दया के समान धर्म नहीं है। - ShareChat