"ढलता दिसम्बर"
ढलते दिसम्बर के साथ सारी खताए माफ़ कर देना_
कुछ शिकायत, कुछ गिले- आज़ आख़री बार याद कर लेना,
वक्त की रेत फिसलती जा रही हैं चुपचाप हाथों से
कल कौन साथ होगा, ये तय नहीं इन बातों से,
जो आज सामने हैं, उसे जी भर के देख लो,
अधूरी बातों को आंखों से हीं कह लों,
क्या पता जब फिर दिसम्बर लौट कर आए..
हम रहें ना रहें - बस, यादों में रह जाएं...
#📃लाइफ कोट्स ✒️ #💌शब्द से शायरी✒️
#👍All The Best #👋🏻अलविदा 2025 🥳 #✍️न्यू ईयर कोट्स ✒️


