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#god #love #mahadev #🙏कर्म क्या है❓ #sai *भगवत गीता सूत्र* *एक लाइन में* *18 अध्याय* *पहला अध्याय* गलत सोच की जीवन की एकमात्र समस्या है *दूसरा अध्याय* सही ज्ञान ही हमारी सारी समस्याओं का अंतिम समाधान है *तीसरा अध्याय* निस्वार्थता हीसमृद्धि का एकमात्र रास्ता है। *चौथा अध्याय* अपने प्रत्येक कार्य को प्रार्थना में परिवर्तित करो ऐसे कार्य करो जैसे प्रार्थना कर रहे हो *पांचवा अध्याय* प्रत्येक कार्य प्रार्थना का कार्य हो सकता है अगर तुम उसको परमात्मा के साथ जोड़ दो। *छठा अध्याय* जिस क्षण व्यक्तित्व अपने अहंकार का परित्याग कर देता है सूक्ष्म उसको आनंद की अनुभूति हो जाती है *सातवां अध्याय* आपने जो सीखा है उसे जीने की कोशिश करो सीखा ज्यादा है जिया कम है *आठवां अध्याय* आप आप कभी अपने को ना छोड़ो जो आपका अस्तित्व है आपके अंदर जो आपकी वास्तविकता विराजमान है। *नौवा अध्याय* अपने आशीर्वाद को महत्व दीजिए।आशीर्वाद लेने में और देने में शर्म मत कीजिए कभी-कभी दुश्मन को भी आशीर्वाद देना चाहिए। *दसवां अध्याय* आपके चारों तरफ जो है वह सब दिव्य है देखने की दृष्टि होनी चाहिए। *ग्यारहवां अध्याय* सत्य जैसा है उसको वैसे ही देखने की कोशिश करो और इसे देखने का आधार है समर्पण *बारहवां अध्याय* मन को दौड़ना अच्छा लगता है पर इतनी कोशिश कर सकते हैं कि मन हायर चीजों में स्ट्रक हो। कहीं ना कहीं तो मन फंसेगा ही अटकेगा ही पर कोशिश की जाए की छोटी-छोटी चीजों को ध्यान में ना रखें, मन न फंसे। मन अच्छे विचारों में उलझे। *तेरहवा अध्याय* माया को अलग कर दीजिए और परमात्मा से जुड़ जाइए। *चौहदवां अध्याय* अपनी जीवन शैली को भी ऐसे जिए जो आपके दृष्टिकोण से मेल खाती हो। *पंद्रहवां अध्याय* अपने जीवन में देवत्व को प्राथमिकता दीजिए। *सोलहवां अध्याय* आप अगर अच्छे हैं तो आप अपने ऊपर एहसान करते हैं किसी दूसरे के ऊपर नहीं। *सत्रवां अध्याय* अधिकार का चयन करना है तो बहुत विचार से होता है।और अगर विचार करेंगे तो इस जगत में ऐसा कुछ भी नहीं है जिस पर हमारा अधिकार हो। *अठारहवांअध्याय* जीवन में अपने जैसे लौकिक लक्ष्य बनाया है अलौकिक लक्ष्य भी बनायें, आर्थिक लक्ष्य बनाया है परमार्थिक लक्ष्य भी बनायें, अर्थ और काम के लक्ष्य बनाए हैं धर्म और मोक्ष के लक्ष्य भी बनायें, सुख और दुख के लक्ष्य बनाए हैं तो जीवन में आनंद के लक्ष्य भी बनाएं।
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