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🕉️ श्लोक 2 श्लोक संख्या : 1.1.2 श्लोकः तपःस्वाध्यायनिरतं तपस्वी वाग्विदां वरम्। नारदं परिपप्रच्छ वाल्मीकिर्मुनिपुङ्गवम्॥ 🙏📖✨ अर्थ : तप, स्वाध्याय और ज्ञान में लीन महर्षि वाल्मीकि ने श्रेष्ठ वाणी और ज्ञान से संपन्न महर्षि नारद से प्रश्न किया। यह श्लोक जिज्ञासा, ज्ञान और गुरु के महत्व को दर्शाता है। 🌿🕉️✨ आज का भावार्थ: श्रद्धा + जिज्ञासा = सच्चा ज्ञान रामकथा हमें जीवन को सही दिशा देने की प्रेरणा देती है। 🚩 #BalMikiRamayan #RamKatha #Day5 #SanatanDharma #Bhakti #ShriRam 🚩🙏 #जयसियाराम🙏🚩 #Religiouslistingservice #🙏रोजाना भक्ति स्टेट्स #🙏रामायण🕉 #🕉️सनातन धर्म🚩
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