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#📖 कविता और कोट्स✒️ #✍️ साहित्य एवं शायरी #📚कविता-कहानी संग्रह #📓 हिंदी साहित्य #🥰Express Emotion
📖 कविता और कोट्स✒️ - रोज़ तारों को नुमाइश में   ख़लल पडता है चाँद पागल   है अँधेरे   में निकल ஔ 8 दीवाना मुसाफ़िर   है मेरी आँखों   में एक वक़्त ्बेन्वक़्त ठहर जाता है, चल पड़ता है अपनी ताबीर के चक्कर में मेरा जागता ख़्वाब रोज़ सूरज की तरह घर से निकल पडता है रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़़ज़ल कहते हैं रोज़   शीशों से कोई काम निकल पडता है उसकी याद आई है, साँसों ज़़रा आहिस्ता चलो ख़लल पड़ता है धड़कनों   से भी इबादत में रोज़ तारों को नुमाइश में   ख़लल पडता है चाँद पागल   है अँधेरे   में निकल ஔ 8 दीवाना मुसाफ़िर   है मेरी आँखों   में एक वक़्त ्बेन्वक़्त ठहर जाता है, चल पड़ता है अपनी ताबीर के चक्कर में मेरा जागता ख़्वाब रोज़ सूरज की तरह घर से निकल पडता है रोज़ पत्थर की हिमायत में ग़़ज़ल कहते हैं रोज़   शीशों से कोई काम निकल पडता है उसकी याद आई है, साँसों ज़़रा आहिस्ता चलो ख़लल पड़ता है धड़कनों   से भी इबादत में - ShareChat