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#📚कविता-कहानी संग्रह #❤️जीवन की सीख
📚कविता-कहानी संग्रह - जब मै समेट नहीं पाती हूँ खुद को तो इक दफा सबसे छुपकर फूटफूट कर रो लेती हूँ न चीखती हूँ न शोर करती हूँ बस मन की पीड़ा को आंसुओं में बहने देती हूँ नहीं कहे जाते कुछ दर्द कुछ पीड़ाएं केवल खुद की होती है केवल खुद के सहन करने केलिए उसे किसी और से कहक भी मन शांत नहीं होता चाहिए एक एकांत মন কী एक शांत सी जगह खुद को खाली करने के लिए मन बहुत भारी सा हो जाता है जब एक गु़बार सा जो बाहर निकलने को आतुर है और आंसुओं में बहकर फिर हो जाता है मन एकदम शांत जैसे हल्की बारिश के बाद धरती हो जाती है तृप्त सी !! जब मै समेट नहीं पाती हूँ खुद को तो इक दफा सबसे छुपकर फूटफूट कर रो लेती हूँ न चीखती हूँ न शोर करती हूँ बस मन की पीड़ा को आंसुओं में बहने देती हूँ नहीं कहे जाते कुछ दर्द कुछ पीड़ाएं केवल खुद की होती है केवल खुद के सहन करने केलिए उसे किसी और से कहक भी मन शांत नहीं होता चाहिए एक एकांत মন কী एक शांत सी जगह खुद को खाली करने के लिए मन बहुत भारी सा हो जाता है जब एक गु़बार सा जो बाहर निकलने को आतुर है और आंसुओं में बहकर फिर हो जाता है मन एकदम शांत जैसे हल्की बारिश के बाद धरती हो जाती है तृप्त सी !! - ShareChat