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😍ಯುಗಾದಿ ಆಚರಣೆ🏵️ - अध्याय ११ का श्लोक ४७ ( भगवान उवाच) मया, प्रसन्नेन, तव, अर्जुन, इदम् रूपम् परम् दर्शितम् आत्मयोगात् तेजोमयम् fಳಗ್ನ अनन्तम् आद्यम् यत् मे॰ त्वदन्येन न दृष्टपूर्वम्। ।४७१| अनुवादः (अर्जुन) हे अर्जुन! (प्रसन्नेन ) अनुग्रहपूर्वक (मया) मैंने ( आत्मयोगात् ) अपनी योगशक्तिके प्रभावसे (इदम्) यह (मे) मेरा (परम्) परम (तेजोमयम् ) तेजोमय ( आद्यम्) आदि और ( अनन्तम् ) सीमारहित (विश्वम्) विराट् सबका (रूपम्) रूप (तव) तुझको (दर्शितम् ) दिखलाया है (यत्) जिसे (त्वदन्येन) तेरे अतिरिक्त दूसरे किसीने (न दृष्टपूर्वम्) पहले नहीं देखा था। (४७) हिन्दीः हे अर्जुन! अनुग्रहपूर्वक मैंने अपनी योगशक्तिके प्रभावसे यह मेरा परम तेजोमय सबका आदि और सीमारहित विराट् रूप दिखलाया है जिसे तेरे तुझको  गीता जीका  अतिरिक्त दूसरे किसीने पहले नहीं देखा था। ज्ञान किसने बोला? प्रभु काल ने कहा है कि 'हे अर्जुन! अध्याय १ १ श्लोक ४७ में पवित्र गीता जी को बोलने वाले यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा था।  सिद्ध हुआ कि कौरवों की सभा में विराट रूप श्री कृष्ण जी ने दिखाया था तथा कुरूक्षेत्र में युद्ध के मैदान में विराट रूप काल ने दिखाया था। नहीं तो यह नहीं कहता कि यह विराट रूप तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा है। क्योंकि श्री कृष्ण जी अपना विराट रूप कौरवों की सभा में पहले ही दिखा चुके थे जो अनेकों ने देखा था। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ద్ద ೯:ಶ೯ಗಾ पवित्र पुस्तक अपना नॉम , पूरा पता भेजें  ज्ञान गगा +91 7496801825 4 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ अध्याय ११ का श्लोक ४७ ( भगवान उवाच) मया, प्रसन्नेन, तव, अर्जुन, इदम् रूपम् परम् दर्शितम् आत्मयोगात् तेजोमयम् fಳಗ್ನ अनन्तम् आद्यम् यत् मे॰ त्वदन्येन न दृष्टपूर्वम्। ।४७१| अनुवादः (अर्जुन) हे अर्जुन! (प्रसन्नेन ) अनुग्रहपूर्वक (मया) मैंने ( आत्मयोगात् ) अपनी योगशक्तिके प्रभावसे (इदम्) यह (मे) मेरा (परम्) परम (तेजोमयम् ) तेजोमय ( आद्यम्) आदि और ( अनन्तम् ) सीमारहित (विश्वम्) विराट् सबका (रूपम्) रूप (तव) तुझको (दर्शितम् ) दिखलाया है (यत्) जिसे (त्वदन्येन) तेरे अतिरिक्त दूसरे किसीने (न दृष्टपूर्वम्) पहले नहीं देखा था। (४७) हिन्दीः हे अर्जुन! अनुग्रहपूर्वक मैंने अपनी योगशक्तिके प्रभावसे यह मेरा परम तेजोमय सबका आदि और सीमारहित विराट् रूप दिखलाया है जिसे तेरे तुझको  गीता जीका  अतिरिक्त दूसरे किसीने पहले नहीं देखा था। ज्ञान किसने बोला? प्रभु काल ने कहा है कि 'हे अर्जुन! अध्याय १ १ श्लोक ४७ में पवित्र गीता जी को बोलने वाले यह मेरा वास्तविक काल रूप है, जिसे तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा था।  सिद्ध हुआ कि कौरवों की सभा में विराट रूप श्री कृष्ण जी ने दिखाया था तथा कुरूक्षेत्र में युद्ध के मैदान में विराट रूप काल ने दिखाया था। नहीं तो यह नहीं कहता कि यह विराट रूप तेरे अतिरिक्त पहले किसी ने नहीं देखा है। क्योंकि श्री कृष्ण जी अपना विराट रूप कौरवों की सभा में पहले ही दिखा चुके थे जो अनेकों ने देखा था। जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ద్ద ೯:ಶ೯ಗಾ पवित्र पुस्तक अपना नॉम , पूरा पता भेजें  ज्ञान गगा +91 7496801825 4 SPIRITUAL LEADER SANT RAMPAL JI @SAINTRAMPALIM SUPREMEGODORG SAINT RAMPAL JI MAHARAJ - ShareChat