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#✍️ साहित्य एवं शायरी #एक रचना रोज़✍
✍️ साहित्य एवं शायरी - चांद किसी औरका है , तुम्हे ह्म क्या कहें शुबह होते ही जान जाओगे... कैसे कहें तुम्हे कौन बसता है किसी भटकी हुई आँखों में... चांद किसी औरका है , तुम्हे ह्म क्या कहें शुबह होते ही जान जाओगे... कैसे कहें तुम्हे कौन बसता है किसी भटकी हुई आँखों में... - ShareChat