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kabirisgod - SATLOK ASHRAN MUNDKA कबीर केते पढि गुनि पचि मुए, योग यज्ञ तप लाय। बिन सतगुरु पावै नहीं, कोटिन करे उपाय I। कबीर साहेब जी कहते हैं कि कितने ही लोग शास्त्रों को पढ़ते गुनते यूं॰ ही मर गए, कितने ही योग क्रिया करने वाले यज्ञ करने वाले तथा तपन्व्रत करने वाले हार-्थककर समाप्त हा गए, परंतु बिना सद्गुरु के आत्म-बोध एवं परम-्शांति प्राप्त नहीं हा सकती, चाहे कोई करोड़ों उपाय करे। SADelhiMundka SatlokAshramMundkaoficial SatlokAshramMundkal SATLOK ASHRAN MUNDKA कबीर केते पढि गुनि पचि मुए, योग यज्ञ तप लाय। बिन सतगुरु पावै नहीं, कोटिन करे उपाय I। कबीर साहेब जी कहते हैं कि कितने ही लोग शास्त्रों को पढ़ते गुनते यूं॰ ही मर गए, कितने ही योग क्रिया करने वाले यज्ञ करने वाले तथा तपन्व्रत करने वाले हार-्थककर समाप्त हा गए, परंतु बिना सद्गुरु के आत्म-बोध एवं परम-्शांति प्राप्त नहीं हा सकती, चाहे कोई करोड़ों उपाय करे। SADelhiMundka SatlokAshramMundkaoficial SatlokAshramMundkal - ShareChat