ब्रह्मकमल हिमालय की उन पहाड़ियों में पनपता है कि जहाँ वायु पत्थरों पर गीत गाती है 🏔️💐 (Saussurea obvallata), ऊँचाई लगभग 3700-4600 मीटर पर, सात से नौ अगस्त के बीच एक ही रात में खिला करता है, उसके फूल कोतुहल से भरे पारदर्शी पेड़ों-सी झिल्लियों से घिरे हुए होते हैं कि जैसे देवी का आवरण हो 🌙✨ — “साभ्रेऽह्नीव स्थलकमलिनीं न प्रबुद्वां न सुप्ताम्” ‒ कालीदास कहते हैं कि कभी-सूरज की किरणों को चूमने से पहले ये फूल खुलता है और फिर उसी की गोद में समा जाता है 🌸🙏 #ब्रह्मकमल #HimalayanGlow #NatureMystery #OneNightBloom #KalidasQuotes
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