Liz Murray – हौसले की कहानी
हौसलों भरी एक सच्ची कहानी जो न्यूयार्क टाइम्स में बेस्ट सेलर रही....जरूर पढ़ना....बच्चो को भी पढ़ाना... सुनाना... इस पर फिल्म भी बन चुकी है।
लिज की ज़िंदगी हमें रुला भी देती है और जगा भी देती है।गरीबी, भूख और बेघर होकर पली वो बच्ची, जिसने सड़कों पर सोते हुए भी सपने देखे।
माँ–पिता नशे में डूबे रहे,समाज की बेरुख़ी… सब कुछ ऐसा था उनके हिस्से के हालातों में, जिन्होंने हर तरफ से उन्हें तोड़ा लेकिन एक चीज़ थी, उनके भीतर कि वो कभी नहीं टूटी।
लिज जो नियमित रूप से कूड़ेदानों से खाना खाती थीं और जीवित रहने के लिए रात भर खुले रहने वाले मेट्रो स्टेशनों पर शरण लेती थीं.....
15 साल की उम्र में बेघर हो गई थीं और अपना जीवन यापन करने के लिए संघर्ष कर रही थीं।
उनकी आत्मकथा “Breaking Night” हमें बताती है कि इंसान चाहे कितना भी टूटे, अगर दिल में रोशनी जिंदा है तो वो हर अंधेरे से निकल सकता है।
बेघर होकर भूखी सोने वाली वही लड़की आज हार्वर्ड की पहचान बनी। ये चमत्कार नहीं—ये हिम्मत, मेहनत और सपनों की ताकत है।
Liz Murray हमें याद दिलाती हैं—
किस्मत लिखी नहीं आती, उसे इंसान अपने खून–पसीने ओर निर्णयों से लिखता है।
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