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#✍️ साहित्य एवं शायरी #एक रचना रोज़✍
✍️ साहित्य एवं शायरी - श्री हरी, महादेव , ब्रम्हा जी को प्रकट किया बर पाया , किंतु राक्षस वृती के त्याग की बात रावण सोंच भी नही पाया। आदमी डॉक्टर इंजियर या मौलवी जैसे आज के युग में सम्मानीत पद प्रात करने के बाद भी आतंकबाद का त्याग नही कर सकत सो निश्चित रूप से रक्त से जुडी हुई बात है संस्कार जै हिंद श्री हरी, महादेव , ब्रम्हा जी को प्रकट किया बर पाया , किंतु राक्षस वृती के त्याग की बात रावण सोंच भी नही पाया। आदमी डॉक्टर इंजियर या मौलवी जैसे आज के युग में सम्मानीत पद प्रात करने के बाद भी आतंकबाद का त्याग नही कर सकत सो निश्चित रूप से रक्त से जुडी हुई बात है संस्कार जै हिंद - ShareChat