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टंट्या मामा भील जी टंट्या मामा भील जी भारतीय इतिहास के एक महान जननायक और स्वतंत्रता सेनानी थे, जिन्हें प्यार से टंट्या मामा भी कहा जाता है। वास्तविक नाम: उनका वास्तविक नाम तांतिया था। समुदाय: वह स्वदेशी आदिवासी समुदाय की भील जनजाति के सदस्य थे। जन्म: उनका जन्म 1840 के आसपास तत्कालीन मध्य प्रांत (अब मध्य प्रदेश) के पूर्वी निमाड़ (खंडवा) की पंधाना तहसील के बड़ादा (बरदा) गाँव में हुआ था। पहचान: उन्हें अक्सर "भारत का रॉबिनहुड" कहा जाता है, क्योंकि वे अंग्रेजी सरकार की संपत्ति और उनके समर्थक अमीरों को लूटकर उस धन को गरीबों और जरूरतमंदों में बाँट देते थे। क्रांतिकारी गतिविधियाँ: उन्होंने 1878 और 1889 के बीच ब्रिटिश शासन के खिलाफ एक सशस्त्र संघर्ष का नेतृत्व किया। वह गुरिल्ला युद्ध में निपुण थे और 12 वर्षों तक अंग्रेजों को चकमा देते रहे। लोकप्रियता: आम जनता, खासकर आदिवासी और गरीब लोग, उन्हें एक रक्षक और मसीहा मानती थी, इसलिए उन्हें सम्मान और स्नेह से 'मामा' कहकर पुकारा जाता था। बलिदान: उन्हें 4 दिसंबर 1889 को ब्रिटिश सरकार द्वारा गिरफ्तार कर जबलपुर जेल में फाँसी दे दी गई थी। उनका बलिदान दिवस हर साल 4 दिसंबर को मनाया जाता है। कर्मस्थली: उनकी कर्मस्थली इंदौर के पास पातालपानी में थी, जहाँ आज भी उनकी समाधि स्थापित है। वह आदिवासी स्वाभिमान और ब्रिटिश अत्याचार के खिलाफ संघर्ष के एक महान प्रतीक माने जाते हैं। आप टंट्या मामा भील के बारे में और क्या जानना चाहेंगे? जैसे उनकी वीरता की कहानियाँ या उनकी युद्ध कला? #aaj ki taaja khabar #🗞️🗞️Latest Hindi News🗞️🗞️ #hindi khabar #🗞breaking news🗞 #🆕 ताजा अपडेट
aaj ki taaja khabar - ४ दिसंबर মানৃগুমি ক্ী ২৪্া ক লিঙ अपने प्राणों की নাল মমান आहुति देने  स्वतंत्रता सेनानी और जनजातीय महानायक टंट्या मामा भील जो ক নলিম্রান িনম ৭ম उन्हें कोटि- कोटि सादर वंदन H IllWlull"  ४ दिसंबर মানৃগুমি ক্ী ২৪্া ক লিঙ अपने प्राणों की নাল মমান आहुति देने  स्वतंत्रता सेनानी और जनजातीय महानायक टंट्या मामा भील जो ক নলিম্রান িনম ৭ম उन्हें कोटि- कोटि सादर वंदन H IllWlull" - ShareChat