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#😌 अकेलापन शायरी #✍️ अनसुनी शायरी
😌 अकेलापन शायरी - भीतर शून्य , बाहर शून्य , शून्य चारों ओर है , و٨ر मैं नहीं हूं मुझमें फिर "मैं -मैं" का शोर है!! भीतर शून्य , बाहर शून्य , शून्य चारों ओर है , و٨ر मैं नहीं हूं मुझमें फिर "मैं -मैं" का शोर है!! - ShareChat