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#📓 हिंदी साहित्य #विजय पाल #👍मोटिवेशनल कोट्स✌ #❤️जीवन की सीख #📖जीवन का लक्ष्य🤔
📓 हिंदी साहित्य - मैंने धीरे धीरे ज़िंदगी को.. जब समझना शुरू किया, तो एहसास हुआ. ज़िंदगी का नाम ही सब्र है। कोई अपना छूट जाए तो सब्र, कोई नाराज़ हो जाए तो सब्र, लोग सवाल उठाएँ तो सब्र, जो चाहा वो न मिले. . तब भी सिर्फ सब्र। ~दया मार्को, पेंड्रारोड )५ मैंने धीरे धीरे ज़िंदगी को.. जब समझना शुरू किया, तो एहसास हुआ. ज़िंदगी का नाम ही सब्र है। कोई अपना छूट जाए तो सब्र, कोई नाराज़ हो जाए तो सब्र, लोग सवाल उठाएँ तो सब्र, जो चाहा वो न मिले. . तब भी सिर्फ सब्र। ~दया मार्को, पेंड्रारोड )५ - ShareChat