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सुनो.... यदि मैं लिख दुं कुछ - मौन भाषा में... तुम समझ पाओगे क्या..? मैं गर पुकारूं बिना आवाज - के, तुम सुन पाओगे क्या..? शब्द रचनाओं में मेरे भाव नहीं समझ आएंगे_ तुम सिर्फ_ इन्हें पढ़ के - अनुभुत कर पाओगे क्या..? हजारों जवाब हैं___ तुम्हारे एक सवाल के.... किन्तु मैं देना एक भी नहीं चाहतीं, क्योंकि... जानती हूं.. सभी निरर्थक हैं... {समझतीं हूं- हालातों में__ -किसी का कुछ भी कहना...!!} #💌शब्द से शायरी✒️ #एक रचना रोज़✍ #✍️ अनसुनी शायरी #📖 कविता और कोट्स✒️ #✍️ साहित्य एवं शायरी
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