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#🙏 ભક્તિ & ધર્મ
🙏 ભક્તિ & ધર્મ - मृत्युंजय मंत्र   #=1~5 a =115 461 ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम  पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान मृत्योर  मुक्षीय मा अमतात | भावार्थ : हे त्र्यम्बक वेदरूप  पुण्यात्मा परमेश्वर ! मृत्यु के पाश से से हमें मुक्त  हमको बचाओ, जन्म मरण  करो और हमको अमृतत्व प्रदान करो॰ যা ৯ = हे ईश्वर, जिनक तान नंत्र हैं उनकी प्यार, सम्मान और आदर से उपासना करते हैं जिसमे संसार की समस्त हैं सुगंध अर्थात जिसका स्वभाव मीठा हैं जो हैं जिसके कारण स्वस्थ जीवन সম্পুত हैं जो रोग लालसा एवम  बुराई का नाश करता है जिस कारण जीवन समृध्द  होता हैं | उस एक अनश्वर से प्रार्थना हैं कि वह हमारे सारे बन्धनों को काटकर हमें मोक्ष का द्वारा दिखाए मृत्युंजय मंत्र   #=1~5 a =115 461 ऊँ त्र्यम्बकं यजामहे सुगंधिम  पुष्टि वर्धनम उर्वारुकमिव बंधनान मृत्योर  मुक्षीय मा अमतात | भावार्थ : हे त्र्यम्बक वेदरूप  पुण्यात्मा परमेश्वर ! मृत्यु के पाश से से हमें मुक्त  हमको बचाओ, जन्म मरण  करो और हमको अमृतत्व प्रदान करो॰ যা ৯ = हे ईश्वर, जिनक तान नंत्र हैं उनकी प्यार, सम्मान और आदर से उपासना करते हैं जिसमे संसार की समस्त हैं सुगंध अर्थात जिसका स्वभाव मीठा हैं जो हैं जिसके कारण स्वस्थ जीवन সম্পুত हैं जो रोग लालसा एवम  बुराई का नाश करता है जिस कारण जीवन समृध्द  होता हैं | उस एक अनश्वर से प्रार्थना हैं कि वह हमारे सारे बन्धनों को काटकर हमें मोक्ष का द्वारा दिखाए - ShareChat