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#melody #PstudioOrai Rag bhairavi
melody - राग भैरवी নিক্ূন भैरवी ग,ध,नि कोमल स्वर : रे IC -जाति : संपूर्ण=्संपूर्ण ७७ कोई नहीं ॰वर्ज्य स्वर মাতী ०वादी षड्ज (सा) मध्यम (म) समप्रकृति राग समय a A; आरोह- सा, रे_,ग_,म॰,प,ध_,f ,सां| সাঁ,নি_,৭ ೩; अवरोह- ,৭,ম,য_,` ध I ) p_studio_orai म॰ ग रे ग सा रे सा, धु नि सा। पकड़- विशेषता किन्तु भैरवी राग का गायन ्समय प्रातःकाल माना गया है, आजकल इसे हर समय गाते बजाते हैं। प्रत्येक महफिल अधिकतर इसी राग से समाप्त होती है। यह ठुमरी का राग चपल है। राग की सुन्दरता बढ़ाने के है। इसकी प्रकृति लिये अन्य स्वर भी प्रयोग कर लिये जाते हैं। चंचल प्रकृति होने के कारण इसमें मसीतखानी गत तो बजाई का राग जाती है, किन्तु बड़ा ख्याल नहीं गाया जाता।  राग भैरवी নিক্ূন भैरवी ग,ध,नि कोमल स्वर : रे IC -जाति : संपूर्ण=्संपूर्ण ७७ कोई नहीं ॰वर्ज्य स्वर মাতী ०वादी षड्ज (सा) मध्यम (म) समप्रकृति राग समय a A; आरोह- सा, रे_,ग_,म॰,प,ध_,f ,सां| সাঁ,নি_,৭ ೩; अवरोह- ,৭,ম,য_,` ध I ) p_studio_orai म॰ ग रे ग सा रे सा, धु नि सा। पकड़- विशेषता किन्तु भैरवी राग का गायन ्समय प्रातःकाल माना गया है, आजकल इसे हर समय गाते बजाते हैं। प्रत्येक महफिल अधिकतर इसी राग से समाप्त होती है। यह ठुमरी का राग चपल है। राग की सुन्दरता बढ़ाने के है। इसकी प्रकृति लिये अन्य स्वर भी प्रयोग कर लिये जाते हैं। चंचल प्रकृति होने के कारण इसमें मसीतखानी गत तो बजाई का राग जाती है, किन्तु बड़ा ख्याल नहीं गाया जाता। - ShareChat