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मुंबई से प्रकाशित लोकप्रिय अख़बार 'सामना' में #राजनीतिक व्यंग्य साप्ताहिक कॉलम में 03 दिसम्बर को प्रकाशित व्यंग्य... कुकर के पूछ अउरी समधी के मोछ सीध ना होला... अगर आपको पसंद आए तो सकारात्मक विचार से जरूर अवगत कराएं।
राजनीतिक व्यंग्य - सामना कुकुर के पोंछ अउरी समधी ক মীঘ সীঙ্স না মীলা ब रत के तैयारी त बड़ा अजब  के चाट आ रसगुल्ला चट कर  भोजपुरिया व्यंग्य चुकल रहेलें। चीज हवे। जइसे बारात के नइखे कवनो नाटक के तैयारी जीजा जी के खास आदत प्रभुनाथ शुक्ल भदोही  होखेला। जेकर उमिर पचपन के हौ हर प्लेट गें झांक झांक के देखे लगे उ पच्चीस के गबरू जवान के। अरे इ मे पनीर कम बा, हम  दिखल   चाहत हौ।  समधी- त पनीरवाला प्लेट खाइब। इ कहत कहत उ तीन प्लेट खतम H ६० पार कडले के बाद भी १६ के जवानी घोंट कई देले, जबकि बुआ जी के बाडे।   क्रीम मत। हमरा कुर्सी ೯[g " रहल पाउडर  नखर त गुटका  डाई राब कुछ एक हमरा त काजू अलग चाहीं। ई चम्मच  साथ। लगत बाकि बरात ना वाला   हलवा अउरी प्लेट फैंसी नइखे हौ। মীননা এল जवानी पुनरोद्धार  रहल बा। यहीं खातिर कुकुर के पोंछ अउरी समधी के मोंछ लइकी वाले हमारा स्टेटस के ख्याल नइखे रखले हौ। लगत बा कबो सीध ना होला। बुआ जी बरात में ना, राजमहल में आयल बाड़ीं।  लडिका वाला बरात लेकर भीतर घुसल ना कि लड़की  आ डॉन टाइप साला जी के एंट्री त फिल्मी होखे के 3ur' वाला के चेहरा बदल जाला। पहिले त गुस्कान बिखरत रहे चाहीं। हमार बैठकी वीआईपी होई। हमरा लोग खातिर अलग लेकिन बरात के लमहर भीड़ देखते ही ऊ मुस्कान ऐसे गायब  से इंतजाम होखे के चाही हेजा लइका के मामा के कवनो इज्जत  हो जाला जइसे दूध में लगी मलाई। एतना लोग़़. नइखे। जइसे बरात ना॰ चुनाव सभा होखे। लड़की वाला बेचारा " TTT- पानी कइसे होई? मन में शुरू हो जाला सवाल। समधी से इधर उधर भागे। पानी लाव चाय लाव, कुर्सी लगाव, पंखा ऑ  भेंट ्अकवार के बाद लड़की के बाप के आवाज में कंपकंपी न कर लेकिन मजाल बा कि बराती लोग काहू से खुश हो जाई। तू॰तू मैं-मैं 31r aಗ-ar T हमरा ध्यान ना देहलसः साफ झलक जाला  हमरा आराम करई के ना मिलल, हमरा सब्जी ठंडी  ई सब त ठीक बा, असली खुराफात त तब शुरू होला  बड़का जीजा जी अउर इज्जतदार डॉ मिलल। हमारा चाय गरम नइखे रहल। बरात के असली तुनक- जब बरात में फूफा जी दुल्हन के ननद के नखरा  न टाइप चाची-भाभी अउरी मिजाजी त इहे होला। लइका वालन के नखरा से लड़की वाला  खुलके  नाचे लागेला। भोजन शुरू होखे के पहिले ही फूफा जी चिल्ला  बेचारा परेशान हो जाला। बारात के तैयारी नइखे जइसे भांड उठले हमरा के देखे के कौनो पानी तक ना पूछलस! एहू बरात  के नाच हो जाला। जहाँ लड़को वाले के नजर में लड़का के घर  होला भला? जबकि पूरा घंटा ऊ पंडाल में गोल-गोल घूम ्घूम  वाले अउरी नातेदार अपने अपने रोल में सुपरस्टार होखेला।  Hindi Edition Saamana Dec 3 2025 Page No १५ Special supplement access Powered by eReLeGo com सामना कुकुर के पोंछ अउरी समधी ক মীঘ সীঙ্স না মীলা ब रत के तैयारी त बड़ा अजब  के चाट आ रसगुल्ला चट कर  भोजपुरिया व्यंग्य चुकल रहेलें। चीज हवे। जइसे बारात के नइखे कवनो नाटक के तैयारी जीजा जी के खास आदत प्रभुनाथ शुक्ल भदोही  होखेला। जेकर उमिर पचपन के हौ हर प्लेट गें झांक झांक के देखे लगे उ पच्चीस के गबरू जवान के। अरे इ मे पनीर कम बा, हम  दिखल   चाहत हौ।  समधी- त पनीरवाला प्लेट खाइब। इ कहत कहत उ तीन प्लेट खतम H ६० पार कडले के बाद भी १६ के जवानी घोंट कई देले, जबकि बुआ जी के बाडे।   क्रीम मत। हमरा कुर्सी ೯[g " रहल पाउडर  नखर त गुटका  डाई राब कुछ एक हमरा त काजू अलग चाहीं। ई चम्मच  साथ। लगत बाकि बरात ना वाला   हलवा अउरी प्लेट फैंसी नइखे हौ। মীননা এল जवानी पुनरोद्धार  रहल बा। यहीं खातिर कुकुर के पोंछ अउरी समधी के मोंछ लइकी वाले हमारा स्टेटस के ख्याल नइखे रखले हौ। लगत बा कबो सीध ना होला। बुआ जी बरात में ना, राजमहल में आयल बाड़ीं।  लडिका वाला बरात लेकर भीतर घुसल ना कि लड़की  आ डॉन टाइप साला जी के एंट्री त फिल्मी होखे के 3ur' वाला के चेहरा बदल जाला। पहिले त गुस्कान बिखरत रहे चाहीं। हमार बैठकी वीआईपी होई। हमरा लोग खातिर अलग लेकिन बरात के लमहर भीड़ देखते ही ऊ मुस्कान ऐसे गायब  से इंतजाम होखे के चाही हेजा लइका के मामा के कवनो इज्जत  हो जाला जइसे दूध में लगी मलाई। एतना लोग़़. नइखे। जइसे बरात ना॰ चुनाव सभा होखे। लड़की वाला बेचारा " TTT- पानी कइसे होई? मन में शुरू हो जाला सवाल। समधी से इधर उधर भागे। पानी लाव चाय लाव, कुर्सी लगाव, पंखा ऑ  भेंट ्अकवार के बाद लड़की के बाप के आवाज में कंपकंपी न कर लेकिन मजाल बा कि बराती लोग काहू से खुश हो जाई। तू॰तू मैं-मैं 31r aಗ-ar T हमरा ध्यान ना देहलसः साफ झलक जाला  हमरा आराम करई के ना मिलल, हमरा सब्जी ठंडी  ई सब त ठीक बा, असली खुराफात त तब शुरू होला  बड़का जीजा जी अउर इज्जतदार डॉ मिलल। हमारा चाय गरम नइखे रहल। बरात के असली तुनक- जब बरात में फूफा जी दुल्हन के ननद के नखरा  न टाइप चाची-भाभी अउरी मिजाजी त इहे होला। लइका वालन के नखरा से लड़की वाला  खुलके  नाचे लागेला। भोजन शुरू होखे के पहिले ही फूफा जी चिल्ला  बेचारा परेशान हो जाला। बारात के तैयारी नइखे जइसे भांड उठले हमरा के देखे के कौनो पानी तक ना पूछलस! एहू बरात  के नाच हो जाला। जहाँ लड़को वाले के नजर में लड़का के घर  होला भला? जबकि पूरा घंटा ऊ पंडाल में गोल-गोल घूम ्घूम  वाले अउरी नातेदार अपने अपने रोल में सुपरस्टार होखेला।  Hindi Edition Saamana Dec 3 2025 Page No १५ Special supplement access Powered by eReLeGo com - ShareChat