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#✝ ईसा मसीह #🌸 सत्य वचन #✝यीशु वचन #✝पवित्र बाइबिल #✝️प्रेयर✝️
✝ ईसा मसीह - नाराज नही होना यीशु "्लेकिन चुप रहा।" (मत्ती २६:६२) यीशु ने लोगों की बातें और कामों दोनों से कई अपमान सहा। यह लिखा है, "्यीशु ने अपने विरोध में पापियों का बहुत सही" (इब्रानियों 1२३३)| लोग उसे पेटू पियक्कड़ और बुराई महसूल लेने वालों का मित्र (मत्ती 1१:१९); बालज़बूल यानी दुष्टात्माओं का प्रधान (लूका १l:१५); और धोखेबाज़ कहते थे (यूहन्ना ७:१२)| अपने ही भाइयों द्वारा उससे घृणा और उपहास किया गया था (यूहन्ना ७:३,४)| उस पर झूठा आरोप २६:६1 )| एक समय जो लोग उस पर (r' लगाया गया था विश्वास करते थे, वे उस पर फेंकने के लिए पत्थर उठाये थे (यूहन्ना ८:३०, ५९)| फिर भी वह कभी किसी से नाराज नहीं हुआ। ऐसा नहीं था कि उसने अपनी भावनाओं को छुपाया था॰ लेकिन उसने खुद को दीन किया और लोगों के विचारों और कार्यों के लिए एक मृत व्यक्ति के रूप में जीवन व्यतीत किया। क्योंकि एक मरा हुआ व्यक्ति किसी भी प्रकार के अपमान से नाराज नहीं होे सकता। यीशु के विपरीत 5 के बातों और कामों से जल्दी ही नाराज हो जाते दूसरों और बिना सोचे समझे उन पर प्रतिक्रिया करते हैं। क्योंकि हम यीशु की तरह नम्र नहीं हैं। यह पतन हुआ व्यक्ति की मनोवृत्ति है। जब परमेश्वर ने आदम और हव्वा से उनके पाप में गिरने के बाद सवाल किया, तोवे उसके टकराव से नाराज हो गए और एक दूसरे पर और परमेश्वर को भी दोष देने लगे। परन्तु हम मसीह के साथ जी उठे हैं (कुलुस्सियों ३:१ )| क्या हम इस क्षेत्र में यीशु के पदचिन्हों पर चल रहे हैं? जो मसीह के साथ जी उठा, वह टूसरों के बातों और कामों से कभी नाराज नहीं होता। नाराज नही होना यीशु "्लेकिन चुप रहा।" (मत्ती २६:६२) यीशु ने लोगों की बातें और कामों दोनों से कई अपमान सहा। यह लिखा है, "्यीशु ने अपने विरोध में पापियों का बहुत सही" (इब्रानियों 1२३३)| लोग उसे पेटू पियक्कड़ और बुराई महसूल लेने वालों का मित्र (मत्ती 1१:१९); बालज़बूल यानी दुष्टात्माओं का प्रधान (लूका १l:१५); और धोखेबाज़ कहते थे (यूहन्ना ७:१२)| अपने ही भाइयों द्वारा उससे घृणा और उपहास किया गया था (यूहन्ना ७:३,४)| उस पर झूठा आरोप २६:६1 )| एक समय जो लोग उस पर (r' लगाया गया था विश्वास करते थे, वे उस पर फेंकने के लिए पत्थर उठाये थे (यूहन्ना ८:३०, ५९)| फिर भी वह कभी किसी से नाराज नहीं हुआ। ऐसा नहीं था कि उसने अपनी भावनाओं को छुपाया था॰ लेकिन उसने खुद को दीन किया और लोगों के विचारों और कार्यों के लिए एक मृत व्यक्ति के रूप में जीवन व्यतीत किया। क्योंकि एक मरा हुआ व्यक्ति किसी भी प्रकार के अपमान से नाराज नहीं होे सकता। यीशु के विपरीत 5 के बातों और कामों से जल्दी ही नाराज हो जाते दूसरों और बिना सोचे समझे उन पर प्रतिक्रिया करते हैं। क्योंकि हम यीशु की तरह नम्र नहीं हैं। यह पतन हुआ व्यक्ति की मनोवृत्ति है। जब परमेश्वर ने आदम और हव्वा से उनके पाप में गिरने के बाद सवाल किया, तोवे उसके टकराव से नाराज हो गए और एक दूसरे पर और परमेश्वर को भी दोष देने लगे। परन्तु हम मसीह के साथ जी उठे हैं (कुलुस्सियों ३:१ )| क्या हम इस क्षेत्र में यीशु के पदचिन्हों पर चल रहे हैं? जो मसीह के साथ जी उठा, वह टूसरों के बातों और कामों से कभी नाराज नहीं होता। - ShareChat