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#Gita gyan ##🌸 जय श्री कृष्ण😇 #🙏श्री कृष्ण वचन🌹🌼Krishna Geeta Gyan 🙏bhagvat gita 📖 #🌺 कृष्ण ज्ञान 🙏 गीता वचन 🌺 भक्ति 💕 राधा कृष्ण 🙏🙏 हरि बोल 🙏🙏 #lord shri krishna # gita gyan by bhagwan shri krishna
Gita gyan - Bhagavad Gita: | Chapter 14 Verse 24-25 समदुःखसुखः स्वस्थः समलोष्टाश्मकाञ्चनः तुल्यप्रियाप्रियो धीरस्तुल्यनिन्दात्मसंस्तुतिः |l 24|| मानापमानयोस्तुल्यस्तुल्यो मित्रारिपक्षयोः | सर्वारम्भपरित्यागी गुणातीतः स उच्यते || २५|| वे जो सुख और दुःख में समान रहते हैं, जो आत्मस्थित हैं, जो मिट्टी के ढेले, पत्थर और सोने के टुकड़े को समान दृष्टि से देखते हैं, जो प्रिय और अप्रिय घटनाओं के प्रति समता की भावना रखते हैं। जो निंदा और प्रशंसा को समभाव से स्वीकार करते हैं, जो मान-्अपमान की स्थिति में सम भाव रहते हैं। जो शत्रु और मित्र के साथ एक जैसा व्यवहार करते हैं, जो सभी भौतिक व्यापारों का त्याग कर देते हैं-वे तीनों गुणों से ऊपर उठे हुए (गुणातीत) कहलाते हैं। Bhagavad Gita: | Chapter 14 Verse 24-25 समदुःखसुखः स्वस्थः समलोष्टाश्मकाञ्चनः तुल्यप्रियाप्रियो धीरस्तुल्यनिन्दात्मसंस्तुतिः |l 24|| मानापमानयोस्तुल्यस्तुल्यो मित्रारिपक्षयोः | सर्वारम्भपरित्यागी गुणातीतः स उच्यते || २५|| वे जो सुख और दुःख में समान रहते हैं, जो आत्मस्थित हैं, जो मिट्टी के ढेले, पत्थर और सोने के टुकड़े को समान दृष्टि से देखते हैं, जो प्रिय और अप्रिय घटनाओं के प्रति समता की भावना रखते हैं। जो निंदा और प्रशंसा को समभाव से स्वीकार करते हैं, जो मान-्अपमान की स्थिति में सम भाव रहते हैं। जो शत्रु और मित्र के साथ एक जैसा व्यवहार करते हैं, जो सभी भौतिक व्यापारों का त्याग कर देते हैं-वे तीनों गुणों से ऊपर उठे हुए (गुणातीत) कहलाते हैं। - ShareChat