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#शायरी 'ये ज़िन्दगी'
शायरी 'ये ज़िन्दगी' - Hari. दो। ज़़रा शाम होने दो, ढलने सूरज मैं खुद लौट आउंगा / मुझे नाकाम होने दो ! मुझे बदनाम करने का बहाना ढूँढ़ते हो, मैं खुद எஎ்IH पहले नाम तो होने दो ! Hari. दो। ज़़रा शाम होने दो, ढलने सूरज मैं खुद लौट आउंगा / मुझे नाकाम होने दो ! मुझे बदनाम करने का बहाना ढूँढ़ते हो, मैं खुद எஎ்IH पहले नाम तो होने दो ! - ShareChat