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#✒ गुलज़ार की शायरी 🖤
✒ गुलज़ार की शायरी 🖤 - अल्फ़ाज़ कलम कहां होता है इतना तजुर्बा किसी हकीम के पास। । मां आवाज़ सुनकर बुखार नाप लेती थी!!! अल्फ़ाज़ कलम कहां होता है इतना तजुर्बा किसी हकीम के पास। । मां आवाज़ सुनकर बुखार नाप लेती थी!!! - ShareChat