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Isro & nasa ke banaye gaye ke sayukt mission se bana "nisar setalite" 7 november se opretional ho jayega #isro #nasa
isro - NISAR सैटेलाइट क्यानक्या जानकारी देगा? ৯ মদুক ISRO और NASA के बनाए गए মিংান नवंबर से ऑपरेशनल से बना NISAR सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च किया जाएगा, जो हर १२ हो जाएगा। इसकी ३०  को आंध्र प्रदेश के ٧؟١١؟ दिन में पूरी धरती और ग्लेशियर का एनालिसिस करेगा।  श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च  मिले डाटा से पता लगाया जाएगा कि जंगल 547 और वेटलैंड में कार्बन के रेगुलेशन में कितने अहम हें। किया गया था। दरअसल, क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए जंगल और  ऑपरेशनल होने के बाद सैटेलाइट से वैज्ञानिकों को वेटलैंड काफी अहम है। इन्हीं की से पर्यावरण में वजह ज्वालामुखी, भूस्खलन, बर्फबारी, जंगलों और  ग्रीनहाउस गैर्सों का रेगुलेशन होता है। भूकप खेती में हो रहे बदलाव समझने में मदद मिलेगी। यह इसके साथ ही यह सैटेलाइट बवंडर, तूफान, सैटेलाइट हर १२ दिन में पूरी धरती की तस्वीरें लेगा।  ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्री  भूकप ज्वालामुखी समुद्रों के जलस्तर में बढ़ोतरी , तूफान, जंगली  आग NISAR में भारत और अमेरिका दोनों की टेक्नोलॉजी खेती, गीली धरती, बर्फ का कम होना आदि की पहले लगी है। इसर्में दो खास रडार L-बैंड (NASA का) और जानकारी दे देगा। S-बैंड (ISRO का) लगे हैं जो मिलकर धरती की बेहद सा़फ और डिटेल्ड तस्वीरें भेजेंगे।  सैटेलाइट रो धरती के चारों ओर जमा हो रहे कचरे इस और धरती की ओर अंतरिक्ष से आने वाले खतरों की भी जानकारी मिल सकेगी। निसार से प्रकाश की कमी और की भी जानकारी मिल पाएगी।  ননীনথী  इसर्मे  NISAR सैटेलाइट क्यानक्या जानकारी देगा? ৯ মদুক ISRO और NASA के बनाए गए মিংান नवंबर से ऑपरेशनल से बना NISAR सैटेलाइट पृथ्वी की कक्षा में लॉन्च किया जाएगा, जो हर १२ हो जाएगा। इसकी ३०  को आंध्र प्रदेश के ٧؟١١؟ दिन में पूरी धरती और ग्लेशियर का एनालिसिस करेगा।  श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च  मिले डाटा से पता लगाया जाएगा कि जंगल 547 और वेटलैंड में कार्बन के रेगुलेशन में कितने अहम हें। किया गया था। दरअसल, क्लाइमेट चेंज से निपटने के लिए जंगल और  ऑपरेशनल होने के बाद सैटेलाइट से वैज्ञानिकों को वेटलैंड काफी अहम है। इन्हीं की से पर्यावरण में वजह ज्वालामुखी, भूस्खलन, बर्फबारी, जंगलों और  ग्रीनहाउस गैर्सों का रेगुलेशन होता है। भूकप खेती में हो रहे बदलाव समझने में मदद मिलेगी। यह इसके साथ ही यह सैटेलाइट बवंडर, तूफान, सैटेलाइट हर १२ दिन में पूरी धरती की तस्वीरें लेगा।  ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्री  भूकप ज्वालामुखी समुद्रों के जलस्तर में बढ़ोतरी , तूफान, जंगली  आग NISAR में भारत और अमेरिका दोनों की टेक्नोलॉजी खेती, गीली धरती, बर्फ का कम होना आदि की पहले लगी है। इसर्में दो खास रडार L-बैंड (NASA का) और जानकारी दे देगा। S-बैंड (ISRO का) लगे हैं जो मिलकर धरती की बेहद सा़फ और डिटेल्ड तस्वीरें भेजेंगे।  सैटेलाइट रो धरती के चारों ओर जमा हो रहे कचरे इस और धरती की ओर अंतरिक्ष से आने वाले खतरों की भी जानकारी मिल सकेगी। निसार से प्रकाश की कमी और की भी जानकारी मिल पाएगी।  ননীনথী  इसर्मे - ShareChat