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#जय श्री राम 🙏 #रावण #👀रोमांचक कहानियाँ 🕵️‍♂️
जय श्री राम 🙏 - दुर्दशा क्या 82 युद्ध भूमि में राम रावण को भक्त और ज्ञानी का अर्थ बताते हुए कह रहे हैं कि भक्त और ज्ञानी में यही अंतर है कि भक्त हो मूर्ख हो परंतु हृदय का सच्चा हो और मन का अनपढ़ सरल, और जिसके हृदय में अधर्म और कपट होता है उसकी जैसी होती है। जिसे स्वर्ण लंका क़े राज নুদ্কাই अवस्था सिंहासन पर बैठकर भी जीवन की अपूर्णता का कांटा चुभ ह्रदय में केवल अशांति चिंता और <618, 5==#4 तुम्हारे एक तड़प रह गईं हैं और कुछ नही। तेरे जैसे हर एक दुराचारी को एक समय इस बात का आभास हो जाता है और तब वह एक घायल सांप की भांति अपनी सुरक्षा के लिए बिल ढूंढता रहता है। वही अवस्था इस समय तुम्हारी है। तुम्हारा अंत आ दुर्दशा हैं। चुका है रावण, और इसी अवस्था का नाम दुर्दशा क्या 82 युद्ध भूमि में राम रावण को भक्त और ज्ञानी का अर्थ बताते हुए कह रहे हैं कि भक्त और ज्ञानी में यही अंतर है कि भक्त हो मूर्ख हो परंतु हृदय का सच्चा हो और मन का अनपढ़ सरल, और जिसके हृदय में अधर्म और कपट होता है उसकी जैसी होती है। जिसे स्वर्ण लंका क़े राज নুদ্কাই अवस्था सिंहासन पर बैठकर भी जीवन की अपूर्णता का कांटा चुभ ह्रदय में केवल अशांति चिंता और <618, 5==#4 तुम्हारे एक तड़प रह गईं हैं और कुछ नही। तेरे जैसे हर एक दुराचारी को एक समय इस बात का आभास हो जाता है और तब वह एक घायल सांप की भांति अपनी सुरक्षा के लिए बिल ढूंढता रहता है। वही अवस्था इस समय तुम्हारी है। तुम्हारा अंत आ दुर्दशा हैं। चुका है रावण, और इसी अवस्था का नाम - ShareChat