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#एक रचना रोज़✍ #📚कविता-कहानी संग्रह #📖 कविता और कोट्स✒️ #✍️ साहित्य एवं शायरी #दास्तान-ए-जिन्दगी📖✍
एक रचना रोज़✍ - जाति और धर्म एक ही चक्की की दो पाटें हैं इन पाटों के बीच पीस रहा है यह देश थोडा थोडा। रोज नफ़रत की रोटियाँ चक्की के आटे से बनाई जाती हैं इसी रोटियों की माँग यहाँ खूब है बहुत भूखा है मेरा देश। जाति और धर्म एक ही चक्की की दो पाटें हैं इन पाटों के बीच पीस रहा है यह देश थोडा थोडा। रोज नफ़रत की रोटियाँ चक्की के आटे से बनाई जाती हैं इसी रोटियों की माँग यहाँ खूब है बहुत भूखा है मेरा देश। - ShareChat