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#✍ कविता 📓 #🖋️ग़ालिब की शायरी 🖋️ तुमसे पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं🙃
✍ कविता 📓 - कोई तुमसे पूछे कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं॰ तुम कह देना कोई ख़ास नहीं, एक दोस्त है पक्का कच्चा सा, एक 568 आधा सच्चा सा ज़ज़्बात से ढका एक पर्दा है, एक बहाना कोई अच्छा सा, जीवन का ऐसा साथी है जो, पास होकर भी पास नहीं पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं। कोई तुमसे ' एक साथी जो अनकही सी, कुछ बातें कह जाता है यादों में जिसका धुंधला सा, एक चेहरा ही रह जाता है, यूँ तो उसके ना होने का, कोई गम नहीं, मुझको ' पर कभी कभी वो आँखों से, आंसू बनके बह जाता है, यूँ रहता तो मेरे ज़हन में है पर नजरों को उसकी तलाश नहीं कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं॰ तुम कह देना कोई ख़ास नहीं। साथ बनकर जो रहता है, वो दर्द बांटता जाता है, भूलना तो चाहूँ उसको पर, वो यादों में छा जाता है अकेला महसूस करूं कभी जो, सपनों में आ जाता है, मैं साथ खड़ा हूँ सदा तुम्हारे , कहकर साहस दे जाता है, ऐसे ही रहता है मेरे साथ कि॰ उसकी मौजूदगी का आभास नहीं, पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं। कोई বুহামী ' कोई तुमसे पूछे कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं॰ तुम कह देना कोई ख़ास नहीं, एक दोस्त है पक्का कच्चा सा, एक 568 आधा सच्चा सा ज़ज़्बात से ढका एक पर्दा है, एक बहाना कोई अच्छा सा, जीवन का ऐसा साथी है जो, पास होकर भी पास नहीं पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं। कोई तुमसे ' एक साथी जो अनकही सी, कुछ बातें कह जाता है यादों में जिसका धुंधला सा, एक चेहरा ही रह जाता है, यूँ तो उसके ना होने का, कोई गम नहीं, मुझको ' पर कभी कभी वो आँखों से, आंसू बनके बह जाता है, यूँ रहता तो मेरे ज़हन में है पर नजरों को उसकी तलाश नहीं कोई तुमसे पूछे कौन हूँ मैं॰ तुम कह देना कोई ख़ास नहीं। साथ बनकर जो रहता है, वो दर्द बांटता जाता है, भूलना तो चाहूँ उसको पर, वो यादों में छा जाता है अकेला महसूस करूं कभी जो, सपनों में आ जाता है, मैं साथ खड़ा हूँ सदा तुम्हारे , कहकर साहस दे जाता है, ऐसे ही रहता है मेरे साथ कि॰ उसकी मौजूदगी का आभास नहीं, पूछे कौन हूँ मैं, तुम कह देना कोई ख़ास नहीं। कोई বুহামী ' - ShareChat