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#✍गुलजारांचे साहित्य
✍गुलजारांचे साहित्य - सोचा ही नहीं था....जिंदगी में ऐसे भी फसाने होगें , रोना भी जरुरी होगा आँसू भी छिपाने होगें | #गुलज़ार सोचा ही नहीं था....जिंदगी में ऐसे भी फसाने होगें , रोना भी जरुरी होगा आँसू भी छिपाने होगें | #गुलज़ार - ShareChat