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#🖋ग़ालिब की शायरी
🖋ग़ालिब की शायरी - भी हमें एक दिये की 377 तरह समझा, ।। रात हुई तो जला दिया सुबह हुई तो बुझा दिया, ।, | भी हमें एक दिये की 377 तरह समझा, ।। रात हुई तो जला दिया सुबह हुई तो बुझा दिया, ।, | - ShareChat