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✍️ साहित्य एवं शायरी - का अंदाज़ तुम्हें तनहा रहने मशरूफ ना करदे ग़ालिब. रिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं.....!! का अंदाज़ तुम्हें तनहा रहने मशरूफ ना करदे ग़ालिब. रिश्ते फुर्सत के नहीं तवज्जो के मोहताज़ होते हैं.....!! - ShareChat