चंदबरदाई (Chand Bardai) हिंदी साहित्य के आदिकालीन कवि और महाकवि के रूप में प्रसिद्ध हैं। उनका परिचय संक्षेप में यहाँ दिया गया है:
प्रमुख परिचय
महाकाव्य: उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना 'पृथ्वीराज रासो' है, जिसे हिंदी साहित्य का प्रथम महाकाव्य माना जाता है।
संबंध: वह अजमेर-दिल्ली के सुविख्यात हिंदू नरेश पृथ्वीराज चौहान (पृथ्वीराज तृतीय) के राजकवि, मित्र और सहयोगी थे।
भाषा: उन्होंने पिंगल भाषा (जो ब्रजभाषा का पर्याय थी) में रचनाएँ कीं, इसलिए उन्हें ब्रजभाषा हिंदी का प्रथम महाकवि भी कहा जाता है।
जीवन: ऐसा माना जाता है कि चंदबरदाई और पृथ्वीराज चौहान का जन्म और निधन एक ही दिन हुआ था, और उनका जीवन पृथ्वीराज चौहान के साथ राजधानी और युद्ध क्षेत्र, हर जगह बीता।
पृथ्वीराज रासो: यह ग्रंथ महाराज पृथ्वीराज चौहान के वीरतापूर्ण युद्धों और प्रेम-प्रसंगों का वर्णन करता है। इसमें उनके जीवन के अंतिम क्षणों का भी वर्णन है, जिसमें उन्होंने चंदबरदाई की मदद से बंदी होने के बाद मोहम्मद गोरी को मारा था, हालाँकि इस घटना की ऐतिहासिक सत्यता पर विद्वानों में मतभेद है।
चंदबरदाई का पूरा जीवन अपने मित्र और शासक पृथ्वीराज चौहान को समर्पित रहा, और उन्होंने अपनी रचना 'पृथ्वीराज रासो' के माध्यम से उनकी कीर्ति को अमर कर दिया।
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